गुरुग्राम। वर्ष 2017 में जीएसटी काउंसिल द्वारा लाल ईंट निर्माताओं पर लागू कम्पोजीशन स्कीम को मार्च 2022 में समाप्त करके एक प्रतिशत के स्थान पर 6 प्रतिशत तथा आईटीसी लेने पर 5 प्रतिशत के स्थान पर 12 प्रतिशत कर दर लागू कर दी गई। जिससेे ईंट-भट्टा उद्योग गहरे संकट में है। उक्त बात अखिल भारतीय ईंट व टाइल निर्माता महासंघ के अध्यक्ष ओमवीर सिंह भाटी व राष्ट्रीय महामंत्री मुरारी कुमार मन्नू ने आयोजित पत्रकारवार्ता में कही। उनका कहना है कि जब तक सरकार कर दरों में राहत नहीं देती, तब तक आम नागरिक का अपना घर बनाने का सपना और महंगा होता जाएगा। इसी नाराजग़ी के चलते ईंट निर्माता बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करने की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि कंपोजीशन स्कीम खत्म होने के बाद से ईंट उद्योग लगातार कर दरों में कमी की मांग कर रहा है। लेकिन हाल ही में हुई जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक में भी ईंट उद्योग को न तो राहत दी गई और न ही कोई विकल्प सुझाया गया। जबकि सीमेंट पर कर दर 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दी गई और ईंट निर्माताओं को पूरी तरह नजऱअंदाज़ कर दिया गया। उनका कहना है कि ईंट भ_ा एक ग्रामीण मौसमी उद्योग है, जिसमें हर साल करीब 3 करोड़ से अधिक लोग रोजगार पाते हैं। सरकार की उपेक्षा और गलत कर नीतियों से यह उद्योग बंद होने की कगार पर है। यदि कर दरों में तुरंत सुधार नहीं हुआ तो लाखों लोगों का रोजगार और आम नागरिक का अपना घर बनाने का सपना दोनों प्रभावित होंगे। उन्होंने सरकार सेे यह मांग भी रखी हैं कि एक से 50 करोड़ रुपये टर्नओवर वाले ईंट निर्माताओं को फिर से कम्पोजीशन स्कीम में शामिल किया जाए। ईंटों पर कर दर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत की जाए और इनपुट टैक्स क्रेडिट की अनुमति दी जाए। इसके अलावा 6 प्रतिशत और 12 प्रतिशत की मौजूदा दरों को समाप्त कर एक प्रतिशत कर दर लागू की जाए। पत्रकारवार्ता में सघ के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष डा अजीत यादव, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बृज मोहन गुप्ता, उत्तरांचल से नरेश त्यागी, सतेन्द्र सिंह, खुशीराम गोयल आदि मौजूद रहे।
अखिल भारतीय ईंट व टाइल निर्माता महासंघ ने सरकार से की मांग
