गुरुग्राम सावन माह दान-पुण्य के लिए काफी महत्वपूर्ण
माना जाता है। इस माह में कई व्रत व त्यौहार आते हैं। बहुत से लोग पूरा
सावन व्रत रखते हैं। सावन के माह में ही हरियाली तीज भी आती है।
सुहागिनें पति की दीर्घायु की कामना के साथ हरियाली तीज पर व्रत भी रखती
हैं। आगामी 11 अगस्त को हरियाली तीज का पर्व सुहागिनें धूमधाम से
मनाएंगी। इस पर्व को श्रावणी तीज के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व
सौंदर्य और प्रेम का पर्व है। ज्योतिषाचार्य पंडित डा. मनोज शर्मा का
कहना है कि इस पर्व को भगवान शिव और पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य
में भी मनाया जाता है। सुहागिनें 16 श्रृंगार कर इस दिन भगवान शिव और
माता पार्वती की उपासना करते हैं और वे सावन माह के मल्हार भी गाती हैं।
यह पर्व उत्तरी भारत के सभी प्रदेशों में कालांतर से मनाया जाता आ रहा
है। उनका कहना है कि पार्वती ने शिव को पति के रुप में पाने के लिए 107
बार जन्म लिया था, लेकिन वे भगवान शिव को नहीं पा सकी थी। धार्मिक
ग्रंथों में उल्लेख है कि 108वीं बार उन्होंने पर्वत राज हिमालय के घर
में जन्म लिया था और भगवान शिव को पति के रुप में पाने के लिए घोर तपस्या
भी की थी, तभी भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रुप में स्वीकार किया था।
तीज के पर्व पर नवविवाहिताओं के लिए सिंधारा भी भेजा जाता है, जिसमें
कपड़े, मिठाई और श्रृंगार आदि का सामान होता है। सावन के माह में विशेष
रुप से बनाए जाने वाले मिष्ठान घेवर भी नवविवाहितों को सिंधारे में भेजने
का प्रचलन है। सावन के माह में महिलाएं झूला झूलकर सावन के मल्हार भी
गाती थी, लेकिन आधुनिकता के इस दौर और बदलते परिवेश में झूलों का महत्व
समाप्त ही होता जा रहा है।
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