गुडग़ांव, देवों के देव महादेव को समर्पित सावन माह
सोमवार से शुरु हो गया है। सावन माह के पहले सोमवार को जहां श्रद्धालुओं
ने व्रत रखा, वहीं उन्होंने अपने ईष्ट देव भगवान शिव की आराधना भी की।
कोरोना वायरस के कारण जिले के सभी मंदिर, धार्मिक स्थल, शिवालय व आश्रम
बंद हैं। श्रद्धालुओं ने अपने घरों में ही भगवान शिव की आराधना की।
उन्होंने जहां शिव पुराण पढ़ा, वहीं शिव गायत्री का जाप भी किया। घरों
में ही श्रद्धालुओं ने भगवान शिव की प्रतिमा पर जलाभिषेक भी काले तिल व
दूध के साथ किया। ज्योतिषाचार्य पंडित डा. मनोज शर्मा का कहना है कि सावन
का माह भगवान शिव को समर्पित है। धर्म के अनुसार पूजा का तीसरा क्रम भी
भगवान शिव ही हैं। शिव ही अकेले ऐसे देव हैं, जो साकार और निराकार दोनो
ही हैं। भगवान शिव रुद्र हैं। उनसे ही परिवार, विवाह, संस्कार, गौत्र,
पितृत्व, मातृत्व, पुत्रत्व आदि अनेक परंपराओं की नींव पड़ी। पंडित जी का
कहना है कि भगवान शिव के बिना न तो आस्था हो सकती है और न ही पार्वती के
बिना श्रद्धा। ये तीनों लोकों के अधिष्ठाता हैं। भूत, प्रेत, पिशाच सब
उनके गण हैं। सर्प उनके गले की शोभा बढ़ाते हैं। विष का पान कर वह नीलकंठ
कहलाए हैं। गंगा मैय्या ने उच्च श्रृंखलता दिखाई तो उनको अपनी जटाओ में
समेट लिया। केवल एक धारा छोड़ी थी, जो अमृत कहलाई। उनका कहना है कि
सुयोग्य वर की अभिलाषा में युवतियां भी सावन मास के सोमवारों का व्रत
रखती हैं। बहुत सी युवतियां तो पूरे सावन मास का ही व्रत रख कर भगवान शिव
व मां पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं, ताकि उन्हें सुयोग्य वर की
प्राप्ति हो सके। उन्होंने श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि कोरोना के कारण
धार्मिक स्थल बंद हैं, इसलिए सभी अपने घरों में ही भगवान शिव व मां
पार्वती की पूजा-अर्चना नियमित रुप से करें।
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