गुरुग्राम। श्रद्धालुओं को मां दुर्गा की भक्ति करने का सौभाग्य वर्ष में 2 बार चैत्र व अश्विन माह में मिलता है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्र का शुभारंभ इस बार 22 सितंबर, सोमवार से होने जा रहा है। प्रतिपदा से लेकर नवमी तक मां दुर्गा के नौ रूपों की विधिवत पूजा-अर्चना की जाएगी। इस बार खास बात यह है कि नवरात्रि 9 नहीं, अपितु 10 दिनों की रहेगी और 11वें दिन विजयादशमी का पर्व मनाया जाएगा। उनका कहना है कि तिथि की यह वृद्धि अत्यंत शुभ मानी जाती है। को रावण दहन की परंपरा निभाई जाती है।
मां दुर्गा के 9 स्वरुपों की होगी पूजा
ज्योतिषाचार्य ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा के विभिन्न 9 स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है। वैसे तो माता सिंह की सवारी करती हैं, लेकिन नवरात्रि में जब धरती पर आती हैं तो उनकी सवारी बदल जाती है। मां जगदंबे के आगमन की सवारी नवरात्रि के प्रारंभ वाले दिन पर निर्भर करती है। यानी नवरात्रि की शुरुआत जिस दिन होती है, उस दिन के आधार पर उनकी सवारी तय होती है। इसी प्रकार से वह जिस दिन विदा होती हैं, उस दिन के आधार पर प्रस्थान की सवारी तय होती है।
मां दुर्गा के कौन-कौन से हैं वाहन
उनका कहना है कि शास्त्रों में भी उल्लेख है कि मां दुर्गा के अलग-अलग वाहन यानि कि दिन के अनुसार होते हैं। नवरात्रि में मां दुर्गा के वाहन डोली, नाव, घोड़ा, भैंसा, मनुष्य व हाथी वाहन होते हैं।
माता की सवारी और उनके महत्व
मान्यता के अनुसार यदि नवरात्रि सोमवार या रविवार से शुरू हो रही है तो मां दुर्गा का वाहन हाथी होता है, जो अधिक वर्षा के संकेत देता है। वहीं यदि नवरात्रि मंगलवार और शनिवार शुरू होती है, तो मां का वाहन घोड़ा होता है, जो सत्ता परिवर्तन का संकेत देता है। इसके अलावा गुरुवार या शुक्रवार से शुरू होने पर मां दुर्गा डोली में आती है तो हैं जो जन-धन हानि के संकेत बताता है। वहीं बुधवार के दिन से नवरात्रि की शुरुआत होती है, तो मां नाव पर सवार होकर आती हैं। नाव पर सवार माता का आगमन शुभ होता है।
मां दुर्गा के प्रस्थान की सवारी और उनके संकेत
उनका कहना है कि यदि नवरात्रि का समापन रविवार और सोमवार के दिन हो रहा है, तो मां दुर्गा भैंसे पर सवार होकर आती हैं, जिसे शुभ नहीं माना जाता है। इसका मतलब होता है कि देश में शोक और रोग बढ़ेंगे। वहीं शनिवार और मंगलवार को नवरात्रि का समापन हो तो मां जगदंबे मुर्गे पर सवार होकर जाती हैं। मुर्गे की सवारी दुख और कष्ट की वृद्धि को ओर इशारा करता है। बुधवार और शुक्रवार को नवरात्रि समाप्त होती है, तो मां की वापसी हाथी पर होती है, जो अधिक वर्षा को ओर संकेत करता है। इसके अलावा यदि नवरात्रि का समापन गुरुवार को हो रहा है तो मां दुर्गा मनुष्य के ऊपर सवार होकर जाती हैं, जो सुख और शांति की वृद्धि की ओर इशारा करता है।
तैयारियों में जुटे हैं लोग
नवरात्र की तैयारियों में शहर के विभिन्न मंदिरों, शिवालयों व आश्रमों की संचालन कमेटी नवरात्र की तैयारी में जुटी है। गुडगांव के प्रसिद्ध शीतला माता मंदिर में भी नवरात्र की तैयारियां जोरोशोरों से चल रही हैं और 22 सितम्बर से मेले का आयोजन भी शुरु हो जाएगा। मां शीतला के दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु देश के विभिन्न प्रदेशों से बड़ी संख्या में आते रहे हैं।