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विपत्ति के समय क्यों जाएं अपने प्रदेश, गुडग़ांव ने दिया है बहुत कुछ खिलौनों की बिक्री कर प्रवासी परिवार त्रासदी से उबरने का कर रहे हैं प्रयास

गुडग़ांव, कोरोना वायरस के चलते काफी दिनों तक लॉकडाउन
चलता रहा, जिसका असर कारोबार व औद्योगिक क्षेत्रों सहित अन्य क्षेत्रों
में भी पड़ा। छोटे-मोटे कारोबार तो एक प्रकार से खत्म ही हो गए। हालांकि
प्रदेश सरकार ने कारोबारियों व प्रभावित श्रमिकों के कल्याण के लिए कई
धोषणाएं भी की। प्रवासी श्रमिकों को प्रदेश सरकार ने 100 से अधिक ट्रेनों
व प्रदेश सरकार की परिवहन सेवाओं के माध्यम से उनके गृह प्रदेशों पर
भेजने की व्यवस्था भी की। कुछ प्रवासी श्रमिक जो कई वर्षों से गुडग़ांव
में ही परिवार के साथ रहते आ रहे थे। वे इस त्रासदी में भी अपने गृह
प्रदेश नहीं गए। ये प्रवासी श्रमिक निजी संस्थानों में कार्य करते थे,
लेकिन त्रासदी के चलते इनकी नौकरियां भी छूट गई तो इन प्रवासी श्रमिकों
ने अपनी आजीविका चलाने के लिए खिलौने व आवश्यक घरेलू सामान की बिक्री
करनी शुरु कर दी। सैक्टर 4 व 7 की मुख्य मार्ग पर राजस्थान मूल का यह
प्रवासी परिवार पिछले कई दिनों से बच्चों के काम आने वाले प्लास्टिक से
बने पानी के टब व घरेलू सामान फुटपाथ पर बिक्री करते दिखाई दे रहे हैं,
जिसमें पत्नी भी अपने पति का सहयोग कर रही है। इनका कहना है कि लॉकडाउन
के दौरान जिला प्रशासन ने कुछ सहायता अवश्य कर दी थी। काम रहा नहीं तो
उन्होंने बच्चों के खिलौने व घरेलू ासमान लाकर बिक्री करना शुरु कर दिया।
उनका कहना है कि अभी सामान की बिक्री अधिक नहीं हो रही है, लेकिन उन्हें
उम्मीद है कि धीरे-धीरे उनके लाए हुए सामान की बिक्री होनी शुरु हो
जाएगी, जिससे वे अपने परिवार का पालन-पोषण सही तरीके से कर सकेंगे। उनका
ये भी कहना है कि जब कई दशकों से गुडग़ांव में रह रहे हैं तो विपत्ति के
समय यहां से क्यों जाएं। गुडग़ांव ने उन्हें बहुत कुछ दिया है।

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