गुडग़ांव, वैश्विक कोरेाना वायरस की महामारी से हर क्षेत्र
प्रभावित हो
रहा है। लॉकडाउन के दौरान सभी औद्योगिक प्रतिष्ठान कोरोना के
प्रकोप से
लोगों को बचाने के लिए बंद कर दिए गए थे। प्रदेश सरकार व जिला
प्रशासन ने
कुछ आवश्यक शर्तों के साथ कोरोना से बचाव करते हुए खोलने के
आदेश दे दिए
थे। गुडग़ांव ऑटो मोबाइल क्षेत्र का हब माना जाता है। क्योंकि
देश की अग्रणी
मारुति उद्योग के दोनों प्लांट गुडग़ांव जिले में ही हैं।
इसी प्रकार
होण्डा मोटर्स, हीरो मोटो कॉर्प के प्लांट भी गुडग़ांव में ही
हैं। इन प्रतिष्ठानों
को कलपुर्जे उपलब्ध कराने वाली हजारों छोटे-बड़े
उद्योग भी
गुडग़ांव जिले में ही हैं। मारुति सुजूकी के गुडग़ांव व आईएमटी
मानेसर स्थित
प्लांटों में गत माह से ही आवश्यक शर्तों के साथ उत्पादन
शुरु हो गया
था। अब इन दोनों प्लांटों में उत्पादन तेजी पकड़ता जा रहा है
और आशा व्यक्त
की जा रही है कि आने वाले दिनों में वाहनों का उत्पादन और
अधिक तेजी
पकड़ जाएगा। ऐसा ही हीरो मोटो कॉर्प में भी माना जा रहा है।
गुडग़ांव प्लांट
की मारुति कामगार यूनियन के महासचिव कुलदीप जांघू का कहना
है कि अब दोनों
प्लांटों में श्रमिकों की संख्या भी अच्छी खासी हो गई है।
लॉकडाउन के
चलते जो श्रमिक अपने घरों को चले गए थे, अब उनमें से भी
अधिकांश अपनी
ड्यूटी पर आ चुके हैं। केवल कंटेनमेंट क्षेत्र में फंसे
श्रमिक भी
ड्यूटी पर आने बाकी हैं। उनका कहना है कि मारुति के गुडग़ांव
प्लांट में
करीब 600 वाहनों का उत्पादन प्रतिदिन हो रहा है। इसी प्रकार
मानेसर प्लांट
में भी वाहनों का उत्पादन प्रगति पर है। उत्पादन अभी एक ही
शिफ्ट में
किया जा रहा है। हालांकि कुछ श्रमिकों को आवश्यक कार्यों के
लिए दूसरी
शिफ्ट में भी बुलाया जा रहा है। उनका मानना है कि आने वाले
दिनों में
उत्पादन पहले की भांति जोर पकड़ लेगा। इन प्रतिष्ठानों को
कलपुर्जों
की आपूर्ति करने वाले ज्वाईंट वैंचर्स में भी डिमांड के अनुसार
उत्पादन शुरु
हो चुका है। आगामी जुलाई के मध्य तक ऑटो मोबाइल क्षेत्र में
लॉकडाउन से
पूर्व की स्थिति सुधार के साथ आ सकती है। ज्वाईंट वैंचर्स में
भी काम करने
वाले श्रमिकों की व्यवस्था करने में प्रबंधन जुटी है।
क्योंकि लॉकडाउन
के दौरान प्रवासी श्रमिक अपने घरों को चले गए थे। अब इन
श्रमिकों का
धीरे-धीरे अपने घरों से लौटने का सिलसिला शुरु हो चुका है।
उनका यह भी
मानना है कि गुडग़ांव में कोरोना पॉजिटिव के मामलों के बढऩे से
प्रवासी श्रमिक
थोड़े भयभीत दिखाई दे रहे हैं। इसलिए उनका अपने गृह
प्रदेश आना-जाना
लगा हुआ है।
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