गुडग़ांव, जैसे धूल मिट्टी या कचरा घर में आ जाए और उसे
निकालने का प्रयास ही नहीं किया जाए तो घर धीरे-धीरे गंदा होता जाता है।
इसे अज्ञानता और लापरवाही ही माना जाएगा। कचरा आने के कारणों की तलाश कर
उसका निवारण ही करना होगा। जीवन में पाप, वासना, वैश्विक कोरोना वायरस का
आ जाना संभवतया अवश्य है, लेकिन इनका सामना न किया जाए तो यह हमारी
अज्ञानता और लापरवाही ही है। यह कहना है सामाजिक संस्था मंथन आई
हैल्थकेयर फाउण्डेशन के संस्थापक गीताज्ञानेश्वर डा. स्वामी दिव्यानंद
महाराज का। जो उन्होंने कोरोना वायरस से बचने के प्रयास में लगे
जरुरतमंदों को खाद्य सामग्री भिजवाते हुए कही। उन्होंने कहा कि इस प्रकार
के वायरस अथवा महामारी का आ जाना संभव है। क्योंकि आधुनिकता के नाम पर
जिस ढंग से प्रकृति के साथ छेड़छाड़ की जा रही है, इसके भयंकर परिणाम तो
होंगे ही, लेकिन इसको संभालना भी जरुरी है और यह तभी संभाला जा सकता है
जब कोरोना वायरस से बचाव के लिए घरों में रहकर लॉकडाउन का पालन किया जाए।
उन्होंने सभी से आग्रह किया कि सामाजिक दूरी को ध्यान में रखते हुए सभी
को सामूहिक रुप से कोरोना का सामना करना है। महाराज जी का कहना है कि
जरुरतमंदों के प्रतिदिन जरुरत के हिसाब से भोजन व खाद्य सामग्री उपलब्ध
कराई जा रही है। भोजन की गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखा जा रहा है।

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