गुडग़ांव, गत 7 अगस्त से प्रदेश की आशा वर्कर्स अपनी
लंबित पड़ी मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं, जिससे सरकार की कल्याणकारी
परियोजनाएं बाधित होती दिखाई दे रही हैं। आशा वर्कर्स यूनियन ने प्रदेश
सरकार पर आरोप लगाए हैं कि सरकार आशा वर्कर्स की समस्याओं का समाधान करना
ही नहीं चाहती। सरकार ने अडिय़ल रवैय्या अख्तियार किया हुआ है। यूनियन को
आशा थी कि उनकी मांगों का 21 अगस्त तक समाधान निकाल लिया जाएगा, लेकिन
ऐसा हुआ नहीं। आशा वर्कर्स यूनियन ने अब हड़ताल को 26 अगस्त तक और बढ़ा
दिया है। यदि समस्या का समाधान नहीं होता है तो प्रदेश की सभी आशा
वर्कर्स चंडीगढ़ में हरियाणा विधानसभा का घेराव करने पर बाध्य होंगी। आशा
वर्कर्स पिछले एक पखवाड़े से जिला व ब्लॉक स्तरीय धरना प्रदर्शन कर रही
हैं और क्षेत्रों के विधायकों को ज्ञापन देकर उनकी मांगें मनवाने का
आग्रह भी करती दिखाई दे रही हैं। यूनियन की जिला प्रधान मीरा देवी का
कहना है कि आशा वर्कर्स स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत बनवाने व जनता को बेहतर
स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए संघर्ष कर रही हैं। उनका कहना है कि
सरकार ने उनकी मांगों पर वार्ता के लिए चंडीगढ़ सचिवालय में यूनियन को
आमंत्रित किया था। डेढ़ घंटे तक वार्ता चली, लेकिन किसी भी मांग पर कोई
ठोस आश्वासन प्रदेश सरकार ने नहीं दिया, जिस पर वार्ता असफल हो गई। उनका
कहना है कि सरकार उन्हें धमकी दे रही है कि यदि उन्होंने अपनी हड़ताल
वापिस नहीं ली तो उन पर एस्मा लगा दिया जाएगा। सरकार उन्हें लिखित में
कोई आश्वासन नहीं दे रही है। इसलिए उनकी हड़ताल जारी है। धरना प्रदर्शन
कर रही आशा वर्कर्स को जनवादी महिला समिति की राज्य प्रधान ऊषा सरोहा
सहित सीटू के वरिष्ठ नेताओं ने भी संबोधित करते हुए उनके आंदोलन को पूरा
सहयोग देने का आश्वासन भी दिया। आशा वर्कर्स मांगों को लेकर जबरदस्त
नारेबाजी करती दिखाई दी।
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