गुडग़ांव, शिक्षा क्षेत्र में ऑनलाइन डिजिटल डिवाइस का
प्रयोग करना कोरेाना महामारी के दौरान सभी की मजबूरी है। क्योंकि न ही हम
बच्चों के कैरियर की उपेक्षा कर सकते हैं और न ही उनके विजन व उनके बचपन
की। यह कहना है सामाजिक संस्था मंथन आई हैल्थकेयर फाउण्डेशन के निदेशक
डा. सुमित ग्रोवर का, जो उन्होंने संस्था के मानसिक जागरुकता अभियान में
ऑनलाइन जुड़े संस्थान के सदस्यों व आमजनों से कही। उनका कहना है कि
कोरोना के कारण सभी शिक्षण संस्थाएं बंद हैं। बच्चों की शिक्षा नियमित
रुप से चलती रहे, इसके लिए सभी प्रदेश सरकारों ने ऑनलाइन शिक्षा उपलब्ध
कराने का अभियान शुरु किया हुआ है। बच्चे कंप्यूटर, लैपटॉप व स्मार्टफोन
के माध्यम से ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। डा. सुमित का कहना है कि
प्रति मिनट 14-15 बार झपकने वाली पलकें लगातार नजरें कंप्यूटर व मोबाइल
पर टिकाकर पढऩे वालों की यदि 3 बार ही पलक झपकेंगी तो आंखों में तनाव भी
बनेगा और आंखों में ड्राइनेस भी आएगी। डा. सुमित का कहना है कि यदि इस
दौरान आंखें मसलते रहें तो कोरोना के साथ-साथ अन्य आंखों की बीमारी भी हो
सकती हैं। उन्होंने बच्चों से आग्रह किया कि आंखों की ड्राइनेस आदि
समस्याओं से घबराने की जरुरत नहीं है, जितना हो सके हाइड्रेशन लेवल बनाकर
रखें। यानि कि खूब पानी पीएं। इससे जहां ड्राइनेस से बचाव होगा, वहीं
इम्युनिटी सिस्टम में भी वृद्धि हो सकेगी। उन्होंने छात्रों से आग्रह
किया है कि वे कम से कम मोबाइल 20 इंच की दूरी पर रखें और प्रत्येक 20
मिनट के बाद 20 सैकेण्ड आंखों को विश्राम अवश्य दें। थोड़ा इधर-उधर भी
देखें। सीधे तौर पर एयर कंडीशनर के सामने व पंखे के नीचे न बैठें।
बार-बार आंखें रगडऩे से कॉर्निया कमजोर हो जाता है। गंदे हाथों से आंखों
को मलने से कोरेाना वायरस के संक्रमण का भी खतरा पैदा हो जाता है। इसलिए
समय-समय पर साबुन से हाथ धोते रहें। उनका कहना है कि अफवाहों व बाजारु
दवाईयों से सावधान रहेँ। कोरोना से घबराने की जरुरत है, लेकिन लापरवाही
भी न रखें। संस्था के संस्थापक गीताज्ञानेश्वर डा. स्वामी दिव्यानंद
महाराज का भी कहना है कि नदी कितनी भी चौड़ी और गहरी हो, यदि तैराक को
तैरना आता है तो डूबने का खतरा नहीं होता। इस कार्यक्रम में संस्था के
निदेशक सचिन ग्रोवर व ग्रणमान्य व्यक्ति मूलचंद कपूर, बीआर ग्रोवर, राजेश
गाबा आदि भी शामिल रहे। ा
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