गुडग़ांव, बुद्ध पूर्णिमा का आयोजन रविवार को शहर के
विभिन्न क्षेत्रों में सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं तथा समाजसेवियों
द्वारा शीतल जल की छबीलें लगाकर धूमधाम से मनाया गया। लोगों ने आने-जाने
वाले राहगीरों व वाहनों में सफर करने वाले लोगों को भी रोक-रोक कर शीतल
जल का सेवन कराया। बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने भगवान बुद्ध की प्रतिमा
पर पुष्पअर्पित कर उन्हें याद किया। उनका मानना है कि बुद्ध पूर्णिमा
बौद्ध धर्म ही नहीं, अपितु देश में मनाया जाने वाला विशेष पर्व है। यह
पर्व इसलिए भी विशेष है कि इस दिन भगवान बुद्ध से जुड़ी 3 महत्वपूर्ण
तिथियां एक साथ पड़ती हैं। भगवान बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति और
महापरिनिर्वाण ये तीनों एक ही दिन अर्थात वैशाख पूर्णिमा के दिन ही हुए
थे। ऐसा अनोखा संयोग किसी अन्य महापुरुष के साथ नहीं पड़ता है। बुद्ध
पूर्णिमा के दिन ही महात्मा बुद्ध ने 80 साल की आयु में देवरिया जिले के
कुशीनगर में निर्वाण प्राप्त किया था। बुद्ध पूर्णिमा को वैशाख पूर्णिमा
के नाम से भी जाना जाता है। महात्मा बुद्ध बौद्ध धर्म के संस्थापक माने
जाते हैं। बौद्ध धर्म भारत की श्रमण परंपरा से निकला धर्म और दर्शन है।
अनुयायियों का मानना है कि बुद्ध ने अपने उपदेशों में जो प्रमुख बात कही
थी उसमें से एक यह है कि मनुष्य को भूतकाल में नहीं उलझना चाहिए। भविष्य
सपने बुनने की बजाय वर्तमान पर ध्यान देना चाहिए। भूत, भविष्य के फेर से
निकलकर वर्तमान की राह पर चलना चाहिए, यही मनुष्य की खुशियों का रास्ता
है।
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