गुडग़ांव, वैश्विक कोरोना वायरस के प्रकोप से बचने के लिए
लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान अपने घरों में रहकर जहां कोरोना से
जंग लडऩे के लिए स्वयं को तैयार कर लिया है, वहीं इस दौरान सभी ने जीना
भी सीख लिया है। हालात मुश्किल हैं इससे इंकार नहंी किया जा सकता, लेकिन
परिस्थितियों को अपने अनुकूल बनाया जा सकता है। इसके लिए केवल जरुरत है
आद्यात्मिक ज्ञान व सकारात्मक सोच की। यह कहना है धार्मिक संस्था
ब्रह्माकुमारीज की मुख्य वक्ता बीके शिवानी का, जो उन्होंने ऑनलाइन मन के
मालिक हम कार्यक्रम में कही। उनका कहना है कि परिस्थितियों को कभी भी
अपने ऊपर हावी न होने दें। निर्भय, निडर बनना होगा। अच्छी सोच रखनी होगी।
मन को नियंत्रित रखकर चलना होगा। कोरोना वायरस की समस्या अकेले भारत देश
की ही नहीं है, अपितु इस समस्या का सामना पूरे विश्व के देशों को करना
पड़ रहा है। हमारे देशवासियों में बड़ी शक्ति है। उनकी इम्युनिटी पॉवर
अन्य देशों की अपेक्षा बहुत बेहतर है। देशवासी जो ठान लेते हैं, उसको
पूरा करके ही रहते हैं। लॉकडाउन के दौरान लोगों ने कोरोना से बचाव करते
हुए जीना सीख लिया है। सोशल मीडिया पर कोरोना को लेकर चौबीसों घंटे कुछ न
कुछ चलता ही रहता है, जिसका प्रभाव लोगों पर नकारात्मकता के रुप में भी
पड़ता है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने लोगों से आग्रह
किया है कि कुछ समय के लिए वे स्वयं को सोशल मीडिया से दूर रखें और
आद्यात्मिक ज्ञान व सकारात्मकता के संबंध में सोचें। कोरोना से भयभीत न
हों। इस दौरान मन को शक्तिशाली बनाना होगा। दिन की शुरुआत प्रात: काल में
मेडिटेशन, योग से शुरु करनी होगी। परमात्मा की शक्ति को अपने भीतर भरना
होगा। यानि कि मेडिटेशन व योगा से जो शक्ति मिलती है उसका एहसास करना
होगा। अपनी आंतरिक शक्ति को ईश्वरीय शक्ति का ध्यान करते हुए उसे बढ़ाना
होगा। बीके शिवानी का यह भी कहना है कि यदि एक घंटे नियमित रुप से कुछ
दिनों के लिए आद्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए दिनचर्या को निरंतर
जारी रखा जाए तो हमारी सोच भी सकारात्मक होगी और हमारे विचार भी
सकारात्मक होंगे। इनमें नकारात्मकता का कोई स्थान नहीं होगा। हमारा मन
निर्भय, निडर बन जाएगा और हम अपने मन के मालिक होंगे। यदि यह सब अपनाया
जाए तो इस वैश्विक कोरोना की जंग में जीत हमारी ही होगी और कोरेाना हार
जाएगा।
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