गुरुग्राम, निजी स्कूल प्रबंधनों की मनमानी जारी है। ये
स्कूल प्रबंधन प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग के आदेशों की भी परवाह नहीं
करते। छात्रों व अभिभावकों को तरह-तरह से परेशान किया जा रहा है। यह कहना
है निजी स्कूलों में पढऩे वाले छात्रों के अभिभावकों का। उनका कहना है कि
प्रदेश सरकार ने आदेश जारी किया था कि कोरोना महामारी के कारण वार्षिक
शुल्क नहीं लिया जाएगा। उच्चतम न्यायालय ने भी आदेश दिया था कि निजी
स्कूल प्रबंधन केवल ट्यूशन फीस ले सकते हैं और छात्रों के परिणाम को किसी
भी कारण से नहीं रोक सकते, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। अभिभावकों ने निजी
स्कूल प्रबंधनों पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने अपने बच्चों की
ट्यूशन फीस तो किसी तरह से प्रबंध कर जमा करा दी है, लेकिन प्रबंधनों ने
वार्षिक शुल्क की मांग और कर डाली है, जिससे अभिभावक बड़े आहत हैं।
वार्षिक शुल्क जमा न करने पर छात्रों का परीक्षा परिणाम भी रोका जा रहा
है। प्रबंधन अभिभावकों की व्यथा को सुनने के लिए तैयार ही नहीं है। इस सब
से परेशान होकर अभिभावकों ने पालम विहार क्षेत्र स्थित एक निजी स्कूल
परिसर में प्रदर्शन कर स्कूल प्रबंधन से मांग की है कि वह ट्यूशन फीस में
वृद्धि न करे और वार्षिक शुल्क न ले और उनके रिजल्ट को न रोके। अभिभावकों
का कहना है कि ट्यूशन फीस में भी प्रबंधनों ने 12 प्रतिशत की वृद्धि कर
दी है। शिक्षा का व्यवसायीकरण हो गया है। आम परिवारों के लिए बच्चों को
शिक्षा उपलब्ध कराना बहुत ही मुश्किल हो गया है। उन्होंने जिला प्रशासन व
प्रदेश सरकार से भी मांग की है कि निजी स्कूल प्रबंधनों की मनमानी पर रोक
लगाई जाए।
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