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नवरात्र हैं शक्ति, साधना और आद्यात्मिक चिंतन का अवसर : यति नरसिंहानंद सरस्वती

गुडग़ांव, जगत जननी मां जगदम्बा की उपासना का पर्व शुरु
हो गया है। ऋषि-मुनियों ने बहुत गहन अनुसंधान के बाद वर्ष में 4 नवरात्र
बताएं हैं, जिनमें 2 नवरात्र गुप्त नवरात्र के रुप में माने जाते हैं।
सनातन नववर्ष भी चैत्र मास के प्रथम नवरात्र से ही आरंभ होता है। नवरात्र
के ये दिन धार्मिक दृष्टि, आद्यात्मिक चिंतन और धर्म साधना के हैं। उक्त
उद्गार अखिल भारतीय संत परिषद के राष्ट्रीय संयोजक यति नरसिंहानंद
सरस्वती ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि सभी को यह समझना होगा कि सादगी,
पवित्रता और निष्ठा में निहित हैं न कि पाखण्ड और आडम्बर व दिखावे में।
उनका कहना है कि हिंदूओं का सारा दम केवल पाखण्ड, दिखावा में जा रहा है,
जोकि सही नहीं है। नवरात्र कोई उत्सव नहीं, अपितु शक्ति साधना और
आद्यात्मिक चिंतन का अवसर है। शक्ति के बिना शिव का भी कोई अस्तित्व नहीं
है। उन्होंने वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से बचाव के लिए कहा कि घरों
में रहकर ही मां दुर्गा के विभिन्न स्वरुपों की सादगी और पवित्रता के साथ
साधना करें, एक दूसरे का सहयोग करें तभी कोरोना वायरस से मुक्ति मिल सकती

�� उनका
कहना है कि छात्रावासों में रहने वाले छात्रों में कोरोना का भय व्याप्त
न हो जाए, इसलिए जहां उनकी सुरक्षा का पूरा प्रबंध किया गया है, वहीं
उन्हें व्यस्त रखने के लिए ऑनलाइन शिक्षा देने की व्यवस्था भी की गई है। d

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