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टीका उत्पादन करने वाली कंपनियां लाभ पर नहीं, अपितु जिंदगी बचाने पर दें ध्यान

गुरुग्राम कोरोना महामारी से देश पिछले डेढ़ वर्ष से
जूझता आ रहा है। कोरोना की दूसरी लहर का असर अब काफी कम हो गया है, लेकिन
कोरोना की संभावित तीसरी लहर ने केंद्र व प्रदेश सरकारों तथा देशवासियों
को परेशान कर रख दिया है। कोरोना महामारी के प्रकोप से बचाव के लिए
केंद्र सरकार ने निशुल्क कोरोनारोधी टीकाकरण शुरु किया हुआ है और देश के
विभिन्न प्रदेशों में 18 वर्ष से 45 वर्ष व इससे अधिक आयु वर्ग के लोगों
को कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान शुरु किया हुआ है। जानकारों का
कहना है कि कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण बहुत जरुरी है। कोरोना की चाहे
कितनी भी लहर क्यों न आ जाएं, कोरोना से बचाव के लिए बनाए गए टीके से
उनका असर कम हो जाता है और लोग कोरोना के प्रभाव से बच जाएंगे। उनका कहना
है कि कोरोना टीका बनाने वाली कंपनियों ने आपदा में भी कमाई के अवसर खोज
ही निकाले हैं। अधिकांश कंपनियां कोरोना टीके में भी अपनी मनमर्जी रखकर
कमाई करना चाहती हैं। उनका कहना है कि कोरोना टीके की इतनी कीमत होनी
चाहिए कि इसे लोग वहन कर सकें। टीके की कीमत बहुत अपारदर्शी है। क्योंकि
कंपनियां मुनाफा कमाने का कोई भी मौका छोडऩा नहीं चाहती। विश्व के हर
देशों में कोरोना टीके की खुराक की अलग-अलग कीमत है। केंद्र सरकार ने
देशवासियों को निशुल्क कोरोना का टीका उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया हुआ
है। सरकार ने एक अरब लोगों का मुफ्त टीकाकरण करने की घोषणा भी कर दी है।
सरकार ने 150 रुपए प्रति खुराक के हिसाब से सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया
(कोविशील्ड) और भारत बायोटेक (कोवैक्सीन) को दिया है। हालांकि वैक्सीन पर
आने वाला खर्च का बोझ देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा, लेकिन केंद्र सरकार
का मानना है कि देशवासियों के स्वास्थ्य से किसी प्रकार का कोई समझौता
नहीं किया जा सकता। इसीलिए युद्ध स्तर पर कोरोना का टीका लगाने का अभियान
शुरु किया गया है। जानकारों का यह भी कहना है कि कोरोना महामारी की
प्रतिक्रिया वास्तव में तभी वैश्विक होगी जब वैक्सीन एक वैश्विक उत्पादन
बन जाएगी और साथ ही टीका उत्पादन कर रही कंपनियों को लाभ के स्थान पर
सुरक्षित जीवन के बारे में विचार करना होगा।

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