गुरूग्राम, देशवासी अभी तक कोरोना महामारी की दूसरी लहर का
सामना कर ही रहे थे कि इसी दौरान चक्रवाती तूफान ने देश के विभिन्न
प्रदेशों में कहर मचाकर रख दिया है। गुजरात के तटीय इलाकों से संचालित
होने वाली रेल सेवाओं को भी चक्रवाती तूफान को देखते हुए स्थगित कर दिया
गया है। बताया जाता है कि इस तूफान से केरल के तटीय क्षेत्र, गोवा व
मुंबई आदि को भी प्रभावित कर रख दिया है। सोमवार को शहर में इस तूफान को
लेकर विभिन्न चर्चाएं चलती रही। लॉकडाउन के कारण अधिकांश लोग अपने घरों
में ही हैं। उन लोगों के भी समाचार पत्र कार्यालयों में पूरे दिन फोन आते
रहे और चक्रवाती तूफान के बारे में नवीनतम जानकारी प्राप्त करने का
प्रयास करते रहे। समाचारों में भी तूफान को लेकर जानकारी बनी रही। लोग
टीवी सेटों से ही चिपके रहे तथा तूफान के बारे में पल-पल की जानकारी लेते
रहे। रेलवे ने इस तूफान को देखते हुए कि रेलवे संपत्ति यात्री इससे
प्रभावित न हों, गत दिवस ही रेवाड़ी-गुडग़ांव-दिल्ली रुट पर चलने वाली व
गुजरात क्षेत्र से आने वाली कच्छ-बरेली-भुज व ओखा-देहरादून एक्सप्रैस
रेलगाडिय़ों को आगामी आदेशों तक स्थगित कर दिया था, ताकि चक्रवाती तूफान
से यात्रियों व रेलसंपत्ति को बचाया जा सके। इसी प्रकार अन्य रेलगाडिय़ां
भी विभिन्न क्षेत्रों में स्थगित की गई बताई जाती हैं। रेलगाडिय़ां स्थगित
होने से जिन यात्रियों ने गंतव्य तक पहुंचने के लिए अपना आरक्षण कराया
हुआ था, उन्हें बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन प्राकृतिक
आपदा को देखते हुए चक्रवाती तूफान प्रभावित क्षेत्रों में इनको स्थगित
किया जाना आवश्यक था। बताया जाता है कि इस तूफान का प्रभाव आगामी 22 मई
तक रह सकता है। चक्रवाती तूफान से केरल, कर्नाटक, गोवा, दमन-द्वीप,
गुजरात व महाराष्ट्र के तटीय इलाकों के प्रभावित होने की आशंका है।
केंद्र सरकार ने भी तूफान को ध्यान में रखते हुए उच्च स्तरीय बैठक कर ली
है और संबंधित प्रदेश सरकारों को भी तूफान का सामना करने की तैयारियों को
लेकर अलर्ट कर दिया गया है। चक्रवाती तूफान ने विभिन्न प्रदेशों को
प्रभावित करना भी शुरु कर दिया है। तूफान की तबाही से लोगों को बचाने के
लिए राहत एवं बचाव कार्य के लिए टीमों का गठन भी किया गया है, ताकि
जान-माल की रक्षा चक्रवाती तूफान से की जा सके। शहरवासियों का कहना है कि
कोरोना महामारी से तो पहले ही परेशान थे, अब इस चक्रवाती तूफान ने देश के
विभिन्न प्रदेशों के लोगों को भी परेशान कर रख दिया है। उधर
पर्यावरणविदों का कहना है कि इस प्रकार के चक्रवाती तूफान का प्रभाव
पर्यावरण पर भी पड़ता है। जो समूची प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ देते
हैं। घने वन व जंगल भी इस तूफान से नेस्तनाबूद हो जाते हैं।
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