गुडग़ांव, कोरोना वायरस द्वारा कौरव सेना की भांति ही
है, जिसे अर्जुन के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण की नीति से हमें परास्त
करना है। कौरवों से लडऩे के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन का मनोबल
बढ़ाया था और उन्हें गीता का संदेश देते हुए कहा था कि कर्म करो, फल की
चिंता मत करो। फल तो ईश्वर के अधीन है। उक्त उद्गार मंथन आई हैल्थकेयर
फाउण्डेशन के संरक्षक गीता ज्ञानेश्वर डा. स्वामी दिव्यानंद महाराज ने
व्यक्त करते हुए कहा कि नवरात्र साधना का यह अर्थ कदापि नहीं है कि मां
दुर्गा की आराधना के नाम पर प्रात: व सायं पूजा-अर्चना कर ली जाए और पूरे
दिन नकारात्मकता से घिरे रहें। उनका कहना है कि जीवन में सकारात्मकता
रहनी बहुत जरुरी है। नकारात्मकता से इंसान स्वयं तो परेशान रहता ही है,
वह औरों को भी परेशान रखता है। अन्य कई व्यवहारिक समस्याएं भी उत्पन्न हो
जाती है। वह चिड़चिड़े स्वभाव का बन जाता है। उनका कहना है कि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कोरोना वायरस से निपटने के लिए घोषित
लॉकडाउन को सकारात्मक बनाना है, नकारात्मक नहीं। कोरोना वायरस कौरव की
सेना के समान है। जिस प्रकार महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को
माध्यम बनाकर कौरव सेना को परास्त किया था, ठीक उसी प्रकार सभी को
सामूहिक प्रयास कर कोरोना वायरस को हराना है और उसे देश से भगाना है।
मनोबल सदैव बना रहना चाहिए। यदि मनोबल टूट गया तो सबकुछ छिन्न-भिन्न हो
जाएगा। महाराज जी ने लोगों से आग्रह किया है कि इस लॉकडाउन का
सकारात्मकता से पालन करें। तभी अर्जुन की भांति कौरव सेना रुपी कोरोना का
मुकाबला किया जा सकता है।
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