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कोरोना से रुकी-रुकी सी लग रही है जिंदगी आर्थिक संकट से निपटने के लिए सूझबूझ है जरुरी : स्वामी दिव्यानंद महाराज

गुडग़ांव, कोरोना वायरस से हर कोई लड़ रहा है। काफी समय से
लॉकडाउन के दौरान कारोबार बंद रहे हैं, जिसका प्रभाव इन कारोबारों से
जुड़े लोगों पर भी पड़ा है। कुछ लोगों की जहां नौकरी तक चली गई, वहीं कुछ
को वेतन में कटौती का सामना भी करना पड़ा है। ऐसे में घर का खर्च चलाना
बहुत ही मुश्किल हो गया है। इस विपदा के समय में संघर्ष और सूझबूझ से ही
कोरोना पर विजय पाई जा सकती है। यह कहना है सामाजिक संस्था मंथन आई
हैल्थकेयर फाउण्डेशन के संरक्षक गीताज्ञानेश्वर डा. स्वामी दिव्यानंद
महाराज का। उनका कहना है कि कोरोना के कारण देशवासियों की जिंदगी रुक सी
गई है, लेकिन कोरोना का सामना सभी को सामूहिक रुप से प्रशासन के
दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए करना होगा। जीवन में सकारात्मकता लानी
होगी। नकारात्मकता का त्याग करना होगा। इच्छाशक्ति को बढ़ाते हुए ऐसे काम
करने होंगे, ताकि रुकी-रुकी सी जिंदगी फिर से चल पड़े और लोगों को जो
समस्याएं आ रही हैं, उनका निराकरण भी हो सके। महाराज जी का कहना है कि
जीवन में आद्यात्मिकता को लाना होगा। महाराज जी ने भगवान श्रीकृष्ण के
गीता के प्रसंगों का जिक्र करते हुए कहा कि गीता में भी ज्ञान दिया गया
है कि विषम से विषम परिस्थितियों का सामना भी प्रबल इच्छाशक्ति से किया
जा सकता है। यदि प्रबल इच्छाशक्ति है तो विजय अवश्य मिलती है। उन्होंने
गुरु-शिष्य के संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि पाश्चात्य सभ्यता के
विकृत प्रभाव से यह संबंध भी वो नहीं रहे जो रहने चाहिए थे। गुरु तो
शिष्य को उसकी भलाई और उन्नति का रास्ता दिखाने वाला होता है, लेकिन अब
यह सब देखने को नहीं मिल रहा है।

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