गुडग़ांव, संत कबीरदास ने समाज में फैली कुरीतियों और
कुंठित हो चुकी परंपराओं के खिलाफ आवाज उठाई थी। उनके जीवन में किसी भी
प्रकार के झूठे आडंबर, पाखंड और छद्मभा का कहीं भी समावेश नहीं था। कबीर
कृत्रिमता के घोर विरोधी थे। उनके द्वारा दिखाए रास्ते पर चलकर ही देश व
समाज का भला हो सकता है। उक्त बात भाजपा निगरानी कमेटी के चेयरमैन सुमेर
सिंह तंवर ने वीरवार को संत कबीर को उनकी जयंती पर नमन करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि संत कबीर रामानंद के शिष्य थे, रामानंद वैष्णव थे, लेकिन
कबीरदास ने निर्गुण राम की उपासना की। यही कारण है कि कबीर की वाणी में
वैष्णव की अहिंसा और सूफियाना प्रेम है। उन्होंने कहा कि कबीरदास का
मानना था कि एक ही तत्व सभी जीवात्मान है। इसलिए जाति-पाति, छुआछूत,
ऊंच-नीच की सोच व्यर्थ है। कबीरदास जीविका चलाने के लिए कपड़ा बुनने का
कार्य करते थे। इससे जो समय बच जाता था, उस समय को सत्संग में लगाते थे।
कबीर के समाज की अवधारणा व्यापक है। कबीरदास ने जीवन के हर पक्ष को अपनी
वाणी से निखारा था।
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