गुडग़ांव, कल्याणकारी परियोजनाओं से जुड़ी आशा वर्कर्स
लंबित पड़ी मांगों को लेकर गत 7 अगस्त से हड़ताल पर हैं। आशा वर्कर्स का
प्रतिनिधिमंडल प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के मुख्य सचिव सहित अन्य
अधिकारियों से मिला, लेकिन वार्ता विफल रही। अब यूनियन ने आगामी 21 अगस्त
तक हड़ताल को बढ़ा दिया है। यूनियन की जिलाध्यक्ष व प्रदेशाध्यक्ष मीरा
देवी का कहना है कि प्रदेश में 20 हजार आशा वर्कर्स 7 अगस्त से स्वास्थ्य
के ढांचे को मजबूत करने, न्यूनतम वेतन, कोविड के दौरान अतिरिक्त जोखिम
भत्ते एवं कटी हुई प्रोत्साहन राशियों की बहाली की मांग को लेकर हड़ताल
पर हैं। सरकार ने मांगों पर बातचीत के लिए यूनियन के प्रतिनिधिमंडल को
चंडीगढ़ सचिवालय में आमन्त्रित किया था। वार्ता में अतिरिक्त मुख सचिव
स्वास्थ्य विभाग, एन एच एम निदेशक, स्वास्थ्य महानिदेशक, प्रोजेक्ट
कोर्डिनेटर शामिल थे, जबकि यूनियन की ओर से राज्य प्रधान प्रवेश, महासचिव
सुरेखा, राज्य सचिव सुनीता, सीटू के राज्य महासचिव जय भगवान शामिल थे।
करीब डेढ़ घंटे तक चली वार्ता में कोई ठोस निर्णय नहीं आ पाया। उनका कहना
है कि वर्ष 2018 की 21 जुलाई को जारी नोटिफिकेशन के अनुसार आशाओं को सब
सेंटर पर अलमारी, स्मार्टफोन एवं एएनम की भर्ती में वेटेज जैसे सरकार के
2 साल पहले के स्वयं के निर्णय को भी ठोस रूप में तुरंत लागू करने बारे
उचित आश्वासन नहीं मिला है। वहीं केंद्र से मिलने वाली प्रोत्साहन
राशियों के 50 प्रतिशत की की गई कटौती को बहाल करने बारे बात नहीं की जा
रही। अतिरिक्त जोखिम भत्ता देने पर भी सरकार मौन है। यूनियन ने आरोप
लगाया है कि कोरोना संकट काल में आशा वर्कर्स जी-जान से लगी हुई हैं। आशा
वर्कर्स स्वास्थ्य के ढांचे को मजबूत बनाने व जनता को बेहतर स्वास्थ्य
सेवा प्रदान कराने के लिए संघर्ष कर रही हैं, लेकिन सरकार ने असंवेदनशील
रवैय्या अपनाया हुआ है। यूनियन ने हड़ताल को आगामी 21 अगस्त तक जारी रखने
का निर्णय लिया है। इस अवसर पर यूनियन की सुधा, सरबजीत, मीरा, नीलम,
अनीता एवं अंजू आदि मौजूद रही।
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