गुडग़ांव, आज रविवार से सावन माह शुरु हो रहा है।
धार्मिक भावना से भी जुलाई माह का बड़ा ही विशेष महत्व है। इस माह में कई
महत्वपूर्ण व्रत और त्यौहार सावन के साथ पड़ रहे हैं। सावन माह को भगवान
शिव की आराधना का माह माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों में भी उल्लेख है कि
जो भक्त इस पावन माह में भगवान शिव व माता पार्वती की सच्चे दिल से
पूजा-अर्चना करते हैं तो उन पर भोले बाबा की सदैव कृपा बनी रहती है।
ज्योतिषाचार्य पंडित डा. मनोज शर्मा का कहना है कि इस बार सावन के महीने
में 4 सोमवार हैं, जिनमें 26 जुलाई, 2, 9 व 16 अगस्त को सोमवार पड़ रहे
हैं। सावन में शिवलिंग की पूजा करने पर विशेष फल की प्राप्ति श्रद्धालुओं
को होती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार सावन माह को देवों के देव महादेव
का माह माना जाता है। पौराणिक कथा है कि जब सनत कुमारों ने महादेव से
उन्हें सावन माह प्रिय होने का कारण पूछा तो भगवान शिव ने बताया था कि जब
देवी सति ने अपने पिता दक्ष के घर में योग शक्ति से शरीर त्याग दिया था,
उससे पहले देवी सति ने महादेव को हर जन्म में पति के रुप में पाने का
प्रण किया था। पार्वति ने युवावस्था के सावन माह में निराहार रहकर कठोर
व्रत किया और महादेव को प्रसन्न कर उनसे विवाह भी किया था, जिसके बाद से
ही भोले शंकर के लिए सावन का माह विशेष हो गया। आगामी 16 अगस्त को
महाशिवरात्रि का पर्व होगा, जिसमें श्रद्धालु भगवान शिव का जलाभिषेक
करेंगे, लेकिन कोरोना के कारण मंदिर, शिवालय व आश्रम आदि में श्रद्धालुओं
की संख्या निर्धारित की हुई है और दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए भगवान
शिव का अभिषेक करेंगे। वैसे तो परंपरा यह रही है कि श्रद्धालु गंगोत्री व
हरिद्वार से कावड़ में लाए गए गंगाजल से भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं,
लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते प्रदेश सरकारों ने कावड़ पर रोक लगा
दी है। इस बार शिव भक्त कावड़ नहीं चढ़ा सकेंगे। पंडित जी का कहना है कि
शास्त्रों में कुछ उपाय बताए गए हैं, जिनके प्रयोग से शिव भक्त कावड़ का
पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। यदि घर के आस-पास कोई नदी या साफ जलाशय है तो
वहां से जल लाकर उसमें गंगाजल मिलाकर भी भोलेनाथ का जलाभिषेक किया जा
सकता है।
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