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आज से शुरु हो रहा है भगवान शिव का प्रिय सावन माहसावन माह में मांसाहार का न करें इस्तेमाल, हो सकते हैं विभिन्न बीमारियों के शिकार : डा. मनोज

गुरुग्राम। सावन माह आज शुक्रवार से शुरु हो रहा है। यह माह जहां भगवान शिव का अतिप्रिय माना जाता है, वहीं पर्यावरण के दृष्टिकोषण से भी काफी महत्वपूर्ण है। यह माह धार्मिक व स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी अहम माना जाता है। माना जाता है कि भोलेनाथ को मनाने और उनकी कृपा को पाने के लिए यह महीना सबसे उत्तम होता है। बताया जाता है कि इस माह को इसलिए भी खास माना जाता है, क्योंकि भगवान शिव को पाने के लिए माता पावर्ती ने अपनी तपस्या इसी महीने पूरी की थी और इसी के बाद शिव शंकर ने उन्हें अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया था। कहा जाता है कि इस दौरान माता पार्वती से अपने हाथों में मेहंदी भी रचाई थी और इसी वजह से आज तक सावन के मौके पर मेहंदी लगाने का चलन जारी है।
सावन माह में नहीं करना चाहिए मांसाहार का इस्तेमाल
वरिष्ठ चिकित्सक डा. मनोज शर्मा का कहना है कि सावन माह में मांसाहारी भोजन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। शाकाहारी भोजन का इस्तेमाल ही स्वास्थ्य के लिए बेहतर है। हिंदू धर्म में सावन माह में मांसाहार न इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। उनका कहना है कि वैसे तो ज्यादातर लोगों को ऐसा करने का कारण धार्मिक लग सकता है, लेकिन स्वास्थ्य के नजरिए से भी मांसाहार का प्रयोग नहीं करना चाहिए। सावन माह में बारिश व गंदगी के कारण संक्रमण का खतरा अधिक बढ़ जाता है। ये बैक्टीरिया खाद्य सामग्री पर भी मौजूद होते हैं। संतुलित आहार बारिश के दिनों में सबसे बेहतर है।
मानसून में बढ़ जाते हैं बैक्टीरिया और कीटाणु
डा. मनोज का कहना है कि मानसून में बैक्टीरिया और कीटाणु तेजी से बढ़ते हैं। मांसाहार में इसके पनपने की अधिक संभावना होती है। यदि मांस ठीक से नहीं पकाया जाता है तो इनके संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इससे फूड पॉइजनिंग जैसी बीमारियों का खतरा बनने की संभावनाएं अधिक होती हैं। मांसाहार शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकता है। इससे शराीर की संक्रमणों से लडऩे की क्षमता कम हो जाती है। मांसाहार को आमतौर पर भारी भोजन माना जाता है। मानसून में शरीर को हल्का और आसानी से पचने वाले भोजन की जरुरत होती है।
त्वचा संबंधित रोगों में हो जाती है वृद्धि
उनका यह भी कहना है कि त्वचा संबंधित समस्याएं भी बारिश के दिनों में अधिक होती हैं। इस मौसम में त्वचा संवेदनशील हो जाती है और लापरवाही के कारण विभिन्न प्रकार की त्वचा संबंधी बीमारियां आमजन को घेर लेती हैं। इसलिए मांसाहार का प्रयोग सावन माह में नहीं करना चाहिए।