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अदालत ने बिजली चोरी का मामला पाया गलत

गुडग़ांव, बिजली चोरी के मामले की सुनवाई करते हुए सिविल
जज प्रियंका जैन की अदालत ने वर्ष 2019 की 11 फरवरी को बिजली निगम को
आदेश दिए थे कि उनके द्वारा बनाया गया बिजली चोरी का मामला गलत है और
बिजली निगम को आदेश दिए थे कि 4 लाख 11 हजार 39 रुपए जो जुर्माने के रुप
में जमा किए गए हैं उन्हें 6 प्रतिशत ब्याज सहित वापिस किया जाए। बिजली
निगम ने निचली अदालत के आदेश को जिला एवं सत्र न्यायालय में चुनौती दे दी
थी। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश संजय कुमार शर्मा की अदालत ने निगम
की अपील को खारिज कर दिया था। लेकिन इसके बाद भी बिजली निगम ने राशि
वापिस नहीं की। जिस पर पीडि़त के अधिवक्ता क्षितिज मेहता ने हर्ष कुमार
सिंह सिविल जज की अदालत में बिजली निगम के खिलाफ पीटिशन फाइल कर दी थी,
जिस पर अदालत ने बिजली निगम को आदेश दिए हैं कि पीडि़त को जुर्माना राशि
ब्याज सहित वापिस लौटाई जाए। पीडि़त के अधिवक्ता क्षितिज मेहता ने बताया
कि जिले के गांव तिगरा के सतपाल के खिलाफ बिजली निगम ने वर्ष 2016 की 28
सितम्बर को बिजली चोरी का मामला बनाया था और उस पर 4 लाख 11 हजार 39 रुपए
का जुर्माना भी लगाया था। उपभोक्ता ने बिजली का कनेक्शन न कट जाए, इस डर
से सारा जुर्माना भर भी दिया था और बिजली निगम के खिलाफ अदालत में केस भी
दायर कर दिया था। जिस पर अदालत ने उक्त निर्णय लिया है। अधिवक्ता का कहना
है कि गत दिवस बिजली निगम ने हर्ष कुमार सिविल जज के आदेशों का पालन करते
हुए 4 लाख 46 हजार 981 का चैक उपभोक्ता को दे दिया है, लेकिन यह धनराशि 4
लाख 71 हजार 948 रुपए बनती है, बाकी 24 हजार 967 धनराशि के लिए अदालत में
याचिका दायर कर दी है। इस याचिका पर अदालत 9 अगस्त को सुनवाई करेगी।
अधिवक्ता का कहना है कि बिजली निगम द्वारा अधिकांश उपभोक्ताओं पर बिजली
चोरी के गलत केस बनाए जाते हैं, लेकिन यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले
रहा है, जिससे उपभोक्ता बड़े परेशान हैं।

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